
धान खरीदी के लिए सिर्फ 15 दिन शेष,फिर भी नहीं सुधरी व्यवस्था
प्रेस छत्तीसगढ़ महिमा बलौदाबाजार। जिले के किसानों के लिए इस वर्ष अपनी मेहनत से उपजाए धान की फसल को बेचना किसी विशालकाय पहाड़ को फतह करना जैसा दुरूह कार्य हो गया है। कोरोना महामारी के चलते पहले रोपाई, बयासी के समय मजदूरों की कमी, बार-बार बीमारी की वजह से कीटनाशक पर अधिक खर्च, गिरदावरी में बेवजह रकबा कम होने के बाद अब बारदाना संकट किसानों के लिए बेहद परेशानी भरा हो गया है। किसी बुरे स्वप्न की तरह किसान बाजार से 30 से 35 रुपए प्रति नग की दर से बारदाना खरीदकर धान बेचने पहुंच रहे हैंं। परंतु, टोकन कटने के बाद भी समिति प्रबंधकों की ओर से किसान को भीड़ का हवाला देकर किसी दूसरे दिन बुलाया जा रहा है। विदित हो कि इस वर्ष किसानों के लिए अपना धान बेचना बेहद कठिन हो गया है। जिले की 90 फीसदी समितियों में बीते कई दिनों से बारदाना नहीं है। बावजूद इसके समितियों में 25-50 नग बारदाना रखकर अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं है कि बारदाना खत्म हो गया है। समितियों द्वारा केवल उन्हीं किसानों का धान खरीदा जा रहा है जो स्वयं के बारदाना में धान लेकर पहुंच रहे हैं। बारदाना नहीं मिलने की स्थिति में किसान अब अपने प्रबंध से बारदाना की व्यवस्था कर रहे हैं। फिलहाल बाजार में 30 से 35 रुपया प्रति नग की दर पर जूट बारदाना मिल रहा है, जिसे किसान खरीद रहे हैं। परंतु, किसानों को शासन से केवल 15 रुपया की दर से ही भुगतान किया जाएगा। यानी प्रति नग एक बोरा के पीछे 15 रुपया का नुकसान किसान झेल रहे हैं। किसानों ने बताया कि समर्थन मूल्य पर धान बेचने की मजबूरी है, इसलिए बाजार से बारदाना खरीद रहे हैं, परंतु भुगतान कर किया जा रहा है। स्थिति यह है कि बाजार में नए बारदाने नहीं मिल रहे हैं, बल्कि पुराने बारदानों को ही महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। 31 जनवरी अंतिम तिथि समर्थन मूल्य पर राज्य शासन द्वारा केवल 31 जनवरी तक ही धान की खरीदी की जाएगी यानी किसानों के लिए धान बेचने के लिए अब केवल 20 दिन हैं। परंतु इन 20 दिनों में भी 16 तथा 23 तारीख को शनिवार तथा 17 तथा 24 तारीख को रविवार का अवकाश, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का अवकाश है, जिसे छोडक़र किसानों को धान बेचने के लिए महज 15 दिन बचे हैं। इन 15 दिनों में जिले के पंजीकृत समस्त किसानों का धान कैसे बिक पाएगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। जिले में पंजीकृत किसानों की संख्या 165221 है, जिसमें से 7 तारीख तक महज 85 हजार कृषकों द्वारा ही धान की बिक्री की गई है। जिले में धान का कुल रकबा 1 लाख 85 हजार हेक्टेयर से अधिक है, जबकि अब तक लगभग 1 लाख हेक्टेयर ही धान बिक सका है। धान बेचने के लिए किसानों के पास अब महज 15 दिन हैं। आगामी 15 दिन में जिले में धान खरीदी का लक्ष्य पूरा होना बेहद कठिन नजर आ रहा है।किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर कई व्यापारी किसानों को पुराने बारदानों को 30 से 35 रुपए प्रति नग बेच रहे हैं। ये वहीं पुराने बारदाने थे जिसकी कीमत बीते वर्ष तक 16 से 18 रुपए थी यानी मजबूरी देखकर तत्काल कीमतें दोगुनी कर दी गई हैं। बड़ा सवाल यह है कि जब किसान अपने स्तर पर जिले में लाखों नग जूट बारदाने का इंतजाम कर रहे हैं तो यह इंतजाम शासन कैसे नहीं कर सका है? वहीं, अधिक कीमत पर बारदाना बेचने वाले व्यापारियों के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई क्यों नहीं की गई है।
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