मुंगेली नगर पालिका का बड़ा फैसला: 19 गांव जल्द होंगे शहर का हिस्सा – लेकिन क्या खत्म हो जाएगा सरपंचों का अस्तित्व? जाने सब कुछ!


मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में एक बड़ा प्रशासनिक और राजनीतिक फैसला सामने आया है। नगर पालिका परिषद मुंगेली की 18 जून 2025 को आयोजित बैठक में 19 ग्रामों को नगर पालिका क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस प्रस्ताव की सत्यप्रतिलिपि 30 जून को अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को अग्रिम कार्यवाही हेतु भेजी गई है। यह निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से भले ही विकास की दिशा में एक कदम माना जा रहा हो, लेकिन इसका सीधा असर उन गांवों पर पड़ेगा जहां महज लगभग 6 महीने पहले ही पंचायत चुनाव संपन्न हुए हैं और जनप्रतिनिधि चुने गए हैं।

 कौन-कौन से गांव होंगे नगर पालिका का हिस्सा?
इस निर्णय के तहत निम्न 19 ग्रामों को नगर पालिका परिषद मुंगेली क्षेत्र में शामिल किया जाना प्रस्तावित है: करही, रामगढ़, सुरीघाट, नवागांव (ग), कामता, रेहूंटा, हेडसपुर खेड़ा, रामाकापा, मोहतरा, नवागांव (घु), लिलवाकापा, देवरी, लालाकापा, बीरगांव, घुठेरा, दुल्हिनबाय, गजिया, नवागांव, झगरटठा।

 नगर पालिका अध्यक्ष रोहित शुक्ला से मिली पुष्टि
छत्तीसगढ़ प्रसार द्वारा नगर पालिका परिषद मुंगेली के अध्यक्ष श्री रोहित शुक्ला से दूरभाष पर संपर्क किया गया,
जहां उनसे वायरल हो रहे प्रस्ताव पत्र के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि, हाँ, यह सही है कि नगर पालिका परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव पारित हुआ है और 19 ग्रामों को जोड़ने की बात है। हालांकि उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि, फिलहाल ग्राम पंचायतों से इस संबंध में प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुए हैं। इससे स्पष्ट है कि प्रक्रिया का अगला कदम अब ग्राम पंचायतों की सहमति और प्रस्ताव पर निर्भर करेगा।

 संभावित लाभ – विकास की नई उम्मीद
शहरी सुविधाओं का विस्तार:
अब इन गांवों में नगर पालिका की ओर से नल जल योजना, कचरा प्रबंधन, पक्की सड़कें, स्ट्रीट लाइट, सफाई व्यवस्था जैसी सेवाएं मिलने की संभावना बढ़ जाती है। 
शहरी योजनाओं का सीधा लाभ:
इन ग्रामों के नागरिक अब प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), शहरी रोजगार गारंटी योजना जैसी योजनाओं का सीधा लाभ उठा सकेंगे। 
संपत्ति मूल्य में बढ़ोत्तरी:
नगर क्षेत्र में शामिल होते ही जमीन और मकान का बाजार मूल्य बढ़ सकता है, जिससे लोगों को आर्थिक फायदा हो सकता है। 
नागरिक सेवाएं होंगी डिजिटल और आसान:
जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, संपत्ति कर भुगतान, भवन अनुमति आदि अब नगर पालिका द्वारा अधिक तेज़ और डिजिटल तरीके से उपलब्ध होंगी। 
 संभावित नुकसान – ग्राम लोकतंत्र पर खतरा?
जहां एक ओर शहरी विकास की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर इसका असर स्थानीय स्वशासन और हाल में निर्वाचित प्रतिनिधियों पर भी गंभीर रूप से पड़ सकता है।

ग्राम पंचायत और सरपंच-पंच का कार्यकाल समाप्त:
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2025 की शुरुआत में ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत के चुनाव संपन्न हुए थे।
इन गांवों में जनता ने मेहनत से अपने पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला सदस्य चुने थे। लेकिन जैसे ही ग्राम नगर पालिका परिषद क्षेत्र में विलीन होगा, ग्राम पंचायत स्वतः भंग मानी जाएगी और सरपंच-पंच का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। इसका अर्थ यह है कि जिन प्रतिनिधियों को पांच साल की सेवा के लिए चुना गया था, उनका कार्यकाल महज लगभग 6 महीने में ही खत्म हो जाएगा। 

जनपद और जिला पंचायत पर भी प्रभाव:
जनपद व जिला पंचायत सदस्यों का निर्वाचन क्षेत्र ग्राम पंचायत आधारित होता है। जब संबंधित ग्राम पंचायत नगर पालिका परिषद क्षेत्र में विलीन हो जाती है, तो उन जनप्रतिनिधियों का कार्यक्षेत्र घट जाता है।
इससे उनकी कार्यक्षमता और योजनाओं में प्रभावशीलता भी प्रभावित हो सकती है। 

 कानूनी और संवैधानिक स्थिति:
संविधान के 73वें संशोधन के तहत पंचायती राज संस्थाएं एक स्वायत्त निकाय हैं। परंतु राज्य सरकारें नगर पालिका अधिनियमों के तहत, गांवों को नगर निकाय में विलीन करने का अधिकार रखती हैं। लेकिन ऐसी प्रक्रिया में ग्रामसभा की सहमति, जनसुनवाई और विस्तृत अधिसूचना ज़रूरी होती है। यदि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही, तो यह कानूनी विवाद का विषय बन सकता है। 
 
विकास की रफ्तार तेज हो — ये सब चाहते हैं, लेकिन यदि इसकी कीमत ग्राम लोकतंत्र, जनभागीदारी और हाल में चुने गए प्रतिनिधियों के पद समाप्ति से चुकानी पड़े, तो यह एकतरफा फैसला नहीं, जन भावनाओं का अनादर बन जाता है। नगर पालिका परिषद द्वारा 19 गांवों को जोड़े जाने का यह प्रस्ताव, यदि ग्रामसभा, जनप्रतिनिधियों और जनता की राय से पहले ही तय कर दिया गया, तो यह निर्णय आने वाले दिनों में बड़ा सामाजिक और राजनीतिक विवाद भी बन सकता है।


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