संकल्प, संघर्ष और सफलता : मुंगेली की चित्रेखा यादव बनीं सब इंस्पेक्टर, गाँव की बेटी ने रचा इतिहास

मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के छोटे से गांव जमकुही (बछेरा) की चित्रेखा यादव ने अपनी मेहनत, संघर्ष और संकल्प से पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित होकर न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। हाल ही में छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय द्वारा सब इंस्पेक्टर, सूबेदार, और प्लाटून कमांडर पदों के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया, जिसमें 959 उम्मीदवारों का चयन हुआ। इस परीक्षा के जरिए चित्रेखा का नाम भी उन चुनिंदा लोगों में शामिल हुआ है, जो अपने अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प के दम पर इस मुकाम तक पहुंचे हैं। उनकी सफलता न केवल व्यक्तिगत जीत है बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।

                  संघर्षों से भरा सफर

चित्रेखा यादव का जीवन किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है। उनके पिता का साया बचपन में ही उठ गया था, जिसके बाद उनकी मां जीराबाई यादव ने अकेले परिवार का पालन-पोषण किया। जीराबाई आंगनबाड़ी में सहायिका के पद पर कार्यरत हैं और उन्होंने चित्रेखा को अच्छी शिक्षा और बेहतर भविष्य का सपना देखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने एक सिंगल पेरेंट्स के रूप में न केवल चित्रेखा का पालन-पोषण किया बल्कि उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाया। चित्रेखा का यह संघर्ष सिर्फ उनके परिवार तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके मामा जीवन यादव और मामी मालती यादव ने भी इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सभी ने मिलकर चित्रेखा को हर मुश्किल घड़ी में सहारा दिया और उनकी प्रेरणा बने।

       शिक्षा और संघर्ष

चित्रेखा की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव जमकुही में ही हुई, जहां उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद हाई स्कूल और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रतिदिन 10 किलोमीटर दूर स्थित मुंगेली तक साइकिल से आना-जाना पड़ा। यह उनके दृढ़ निश्चय और अदम्य साहस को दर्शाता है कि उन्होंने अपनी शिक्षा को हर परिस्थिति में प्राथमिकता दी।
उनकी शारीरिक और मानसिक मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामों और खेती-बाड़ी में भी अपनी मां का हाथ बंटाया। आर्थिक संकट के कारण उन्होंने एक निजी स्कूल में अध्यापन कार्य भी किया, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में मदद मिली। चित्रेखा के लिए यह सफर कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर बनने का सपना चित्रेखा का हमेशा से था। इस दिशा में उन्हें प्रेरणा उनके कई गुरुजनों से मिली, जिनमें तुलसी ध्रुव (व्याख्याता), महेश यादव (शिक्षक), रामचरण ध्रुव (लेखा अधिकारी), दीनबंधु साहू (प्रधानपाठक) और तेजनारायण यादव (पटवारी) का योगदान अहम रहा। इन सभी ने उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन दिया और उनके सपने को साकार करने में मदद की। इसके बाद, उनकी तैयारी का मार्गदर्शन चंद्रशेखर साहू (सहायक लेखा अधिकारी), अंकित तिवारी (जीके हब मुंगेली) और शिरोमणी चंद्रा (चंद्रा एकेडमी द गाइड, बिलासपुर) जैसे अनुभवी शिक्षकों ने किया।

                 पुलिस सेवा में जाने की तैयारी

सब इंस्पेक्टर बनने के अपने सपने को साकार करने के लिए चित्रेखा ने शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को तैयार किया। पुलिस सेवा की तैयारी के लिए उन्होंने प्रतिदिन सुबह 4 बजे उठकर साइकिल से मुंगेली के मैदान में जाकर शारीरिक दक्षता परीक्षा की तैयारी की। उनका यह समर्पण और अनुशासन उन्हें अन्य उम्मीदवारों से अलग बनाता है। पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए विज्ञापन 2018 में जारी किया गया था, और 2023 में साक्षात्कार के बाद लंबे इंतजार के बाद परिणाम घोषित हुआ। इतने लंबे समय तक प्रतीक्षा करना भी किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन चित्रेखा ने कभी हिम्मत नहीं हारी। उनका यह धैर्य और संकल्प उनके व्यक्तित्व की ताकत को दर्शाता है। इससे पहले चित्रेखा का चयन कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी जीडी) के माध्यम से आईटीबीपी में आरक्षक के पद पर हुआ था, लेकिन उन्होंने इस पद को इसलिए ज्वाइन नहीं किया क्योंकि वे सब इंस्पेक्टर बनने के अपने सपने का इंतजार कर रही थीं। उनका यह दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास ही था, जिसने उन्हें इस कठिन परीक्षा में सफल बनाया।

      परिवार और समाज की शुभकामनाएं

चित्रेखा की इस सफलता पर उनके परिवार, गुरुजन, रिश्तेदार, मित्र और गांव के सभी लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ प्रसार के एडीटर इन चीफ अरविंद बंजारा, यादव समाज, एकंगु ग्रुप और ग्रामवासियों ने उन्हें बधाइयाँ दीं और उनकी इस उपलब्धि पर खुशी जताई। चित्रेखा की मां जीराबाई, जिन्होंने हर कठिनाई में अपनी बेटी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहीं, आज अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर बेहद गर्व महसूस कर रही हैं। चित्रेखा ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां, मामा-मामी और उन सभी गुरुजनों को दिया है जिन्होंने उनकी यात्रा में उनका मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा, मुझे इस मुकाम तक पहुँचने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन मेरे परिवार और शिक्षकों ने हर कदम पर मेरा साथ दिया। मैं उनके बिना यह सब कुछ हासिल नहीं कर पाती।

चित्रेखा की सफलता : युवाओं के लिए प्रेरणा

चित्रेखा यादव की सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। उनकी यह कहानी बताती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर आपकी मेहनत और समर्पण सच्चे हैं तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। चित्रेखा की यह यात्रा इस बात की मिसाल है कि मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनकी यह सफलता सिर्फ उनके परिवार या गांव के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व की बात है। उनके इस संघर्ष और समर्पण ने यह साबित किया है कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

                भविष्य की योजनाएँ

चित्रेखा यादव अब पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। वे अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करने का संकल्प रखती हैं। उनका उद्देश्य है कि वे समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए भी विशेष योगदान दें। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को गर्व महसूस कराया है, बल्कि उनके क्षेत्र की अन्य युवतियों के लिए भी एक नई राह खोली है। चित्रेखा की इस प्रेरणादायक यात्रा से यह स्पष्ट होता है कि कठिनाइयों और संघर्षों के बावजूद, अगर इंसान में संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो वह किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकता है। चित्रेखा यादव की यह सफलता एक बार फिर यह सिद्ध करती है कि अगर सपने बड़े हों और उन्हें पाने की जिद्द हो, तो किसी भी कठिनाई से लड़कर हम अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। उनके इस सफर ने उन्हें एक मिसाल बना दिया है, जो आने वाले समय में हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।


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