मुख्य अतिथि पुन्नूलाल मोहले ने आदिवासी समाज को देश की आत्मा और इसकी जड़ों का प्रतीक बताते हुए बोली, वेशभूषा, संस्कृति और शिक्षा से नई पीढ़ी को जोड़ने का आह्वान किया। प्रो. सिंह ने हर बच्चे की शिक्षा को प्राथमिकता देने की बात कही, जबकि पुहुप राम साहू और विरेन्द्र मरावी ने समाज की सभ्यता, संगठन और अधिकारों के प्रति सजग रहने पर जोर दिया। आदिवासी वेशभूषा प्रतियोगिता में कु. मोंशिका ध्रुव (प्रथम), कु. राधिका छेदईया (द्वितीय) और अरुण कुमार ध्रुव (तृतीय) को प्रशस्ति पत्र, मेडल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में विरेन्द्र मरावी, उत्तम ध्रुव, जिगेश्वर सिंह ध्रुव, कृष्ण कुमार ध्रुव समेत अनेक समाजसेवी और पदाधिकारी मौजूद रहे। साथ ही 1 अगस्त को पेनवासी मनोहर सिंह मरकाम एवं सुखी राम मरकाम की स्मृति में उनके परिजनों द्वारा 15×12 वर्गफुट का भवन निर्माण कर गोड़ समाज मुंगेली को समर्पित किया गया, जिसे समाज ने श्रद्धापूर्वक स्वीकारा। यह आयोजन केवल उत्सव नहीं, बल्कि अधिकारों, आत्मसम्मान और सांस्कृतिक गर्व का संदेश देने वाला प्रेरक मंच साबित हुआ, जिसमें एकजुट होकर अपने हक और अस्तित्व के लिए आगे बढ़ने की हुंकार गूंजी।
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