आज सतनामी समाज अभनपुर द्वारा 100गवां सतनामी समाज परिसीमन पर बलिदानी राजागुरु बालक दास जी का राज्याभिषेक दिवस पूजा अर्चना करते हुए मनाया गया-टिकेंद्र बघेल

@अरविंद बंजारा

अभनपुर.आज सतनामी समाज अभनपुर द्वारा 100गवां सतनामी समाज परिसीमन के आह्वन पर प्रदेश संयोजक श्री प्रेमचंद सोनवानी जी के नेतृत्व में  बलिदानी राजागुरु बालक दास जी का  राज्याभिषेक दिवस पूजा अर्चना करते हुए मनाया गया।
                       सभा को संबोधित करते हुए  प्रगतिशील सतनामी समाज के अध्यक्ष श्री टिकेन्द्र बघेल व एडवोकेट शोभा गिलहरे ने बताया कि बलिदानी राजागुरु बालक दास जी ,महान क्रांतिकारी, समाज सुधारक , युग पुरुष और मानवाधिकार के लिए सतनाम आंदोलन के प्रणेता व सतनाम धर्म के संस्थापक गुरु घासीदास जी के द्वितीय पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे।जिन्होंने बाबा गुरुघासीदास जी के सतनाम आंदोलन को आगे बढ़ाया।इनके ऊपर गुरु घासीदास जी के विचारों का प्रभाव बचपन से ही पड़ा था. इसलिए जब सन 1820 ईस्वी मे सतनामी आंदोलन प्रारंभ हुआ, तो बालकदास जी ने उसमे बढ़ चढ़कर अपना योगदान दिया. जगह-जगह रावटी के माध्यम से समाज सुधार व आत्म रक्षा के लिए अखाड़ा का प्रदर्शन व प्रशिक्षण भी देते व महिला शोषण के खिलाफ और गउ माता की रक्षा के लिए भी आंदोलन करते थे।उनके महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण गुरु घासीदास जी के बाद सन 1850 मे सतनामियों का प्रमुख गुरु बनाया गया. गुरु बालकदास जी ने नेतृत्व संभालने के बाद आंदोलन को पूर्व की भांति पुरे गति से आगे बढ़ाया।सन 1857 मे भारत मे ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ सैन्य विद्रोह हुआ. जिसे इस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पुरी तरह विफल कर दिया. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत का शासन कंपनी के हांथ से अपने अधीन कर लिया और सुव्यवस्थित रूप से शासन करने के लिए *मालिक मकबूजा कानून* लागू किया गया. जिसके तहत ऐसे काश्तकार जो अपने जमीनों पर सन 1840 से काश्तकारी कर रहे थे, उनको सर्वे के बाद मालिकाना हक देने का फैसला किया गया। 
सतनामी आंदोलन के दौरान छत्तीसगढ़ के लोगों ने पेशवाशाही मराठों के द्वारा अपने छिने हुए भूमि संपत्तियों पर दोबारा अधिकार कर लिया था।जिस बात को लेकर पेशवाशाही मराठों ने सतनाम आंदोलन का विरोध करते थे।राजा गुरु बालकदास सतनामियों के साथ-साथ अन्य समाज में राजा की भांति न्यायव्यवस्था,कुरुतियो के खिलाफ कार्य करने से लोकप्रिय हो चुके थे।मालिक मकबूजा कानून से जातिवादी सामंती ताकतों मे खलबली मच गया. क्योंकि वे जानते थे कि एक बार अगर सरकारी दस्तावेजों मे जमीनों के वास्तविक मालिकों का नाम दर्ज हो गया. तो उनको बेदखल नहीं कर सकते,वे गुरु बालकदास जी के रहते सतनामियों के विरुद्ध कुछ भी कार्यवाही नहीं कर सकते थे। छत्तीसगढ़ मे किसी का साहस नही था, उनके साहस व पराक्रम को देख ब्रिटिश सरकार ने दशहरा एकादशी के दिन उनका राज्याभिषेक कर हाथी घोड़ा सेना से सुसज्जित कर सोने का तलवार भेंट कर राजागुरु घोषित किया था।
               सभा को जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष श्री राजू बारले, एडवोकेट शोभा गिलहरे, समाजसेवी कुर्रू धाम के संस्थापक सदस्य श्री राधेश्याम बंजारे,श्री राजेन्द्र अंसारी,श्री पन्ना नवरंगे,नया रायपुर युवा सतनामी समाज अध्यक्ष व सरपंच सुजीत घिदौडे ने भी संबोधित किया
         इस अवसर पर राजमहंत उदेराम जी,सहदेव कोशरिया, जयवर्धन बघेल, दिलीप बारले,रामसिंग जोशी, गंगा राम,घनश्याम बघेल,मोहन भारती, नीलकमल गिलहरे,विष्णु हरवंश,धनेश्वरी डांडे,उषा चतुर्वेदी,रोशनी कोशले,छाया भारती,तिलेश्वरी गायकवाड़ सहित समाजजन उपस्थित रहे।

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