धान खरीदी में लाखों का खेल, 60 लाख और सरकारी व्यवस्था पर बड़ा सवाल! तरवरपुर केंद्र का गबन मामला बना मिसाल या चेतावनी?


मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । धान खरीदी में किसानों की मेहनत की फसल को लेकर शासन–प्रशासन हर वर्ष पारदर्शिता और ईमानदारी के दावे करता है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट दिखती है। ताजा मामला मुंगेली जिले के तरवरपुर धान खरीदी केंद्र का है, जहां केंद्र प्रभारी सरजू बघेल पर 65 लाख रुपए से अधिक के धान गबन का आरोप साबित होने के बाद एफआईआर दर्ज की गई और अब गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के गबन तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरी खरीदी व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है — आखिर इतने बड़े स्तर की अनियमितता महीनों तक किसी की नज़र में क्यों नहीं आई?
क्या संबंधित सहकारी समिति, पर्यवेक्षक और जिला स्तर के निरीक्षण तंत्र इस पूरे खेल से अनजान थे, या फिर जानबूझकर आंखें मूंद ली गईं?

जांच रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र में खरीदे गए लगभग 39 हजार क्विंटल धान में से केवल 36 हजार क्विंटल ही जमा हुआ। यानी 2 हजार से अधिक क्विंटल धान रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। यह कोई छोटी चूक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित गबन की ओर इशारा करता है।
65 लाख रुपये का यह गबन इस बात का प्रतीक है कि प्रशासनिक निगरानी तंत्र में कितनी बड़ी ढिलाई और जवाबदेही की कमी है। किसानों के नाम पर जारी की गई सरकारी योजनाएं और खरीदी केंद्र अब भ्रष्टाचार का गढ़ बनते जा रहे हैं। हर साल धान खरीदी के समय किसानों की लंबी कतारें, पंजीयन की दिक्कतें, बारदाने की कमी, और समय पर भुगतान न होने की शिकायतें सुर्खियों में रहती हैं। और अब जब सामने आ रहा है कि उसी व्यवस्था के भीतर बैठे कुछ लोग किसानों की पसीने की कमाई को लूटने में लगे हैं, तो यह प्रदेश के शासन–प्रशासन के लिए एक गहरी चेतावनी है।

प्रशासन ने भले ही आरोपी सरजू बघेल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया हो, पर असली सवाल यह है — क्या कार्रवाई यहीं खत्म हो जाएगी?
क्या सिर्फ एक व्यक्ति को बलि का बकरा बनाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाएगा, या फिर पूरी खरीदी चेन में जुड़े उन सभी लोगों की भी जांच होगी जिन्होंने इस गबन को रोकने की जिम्मेदारी निभाई ही नहीं?
इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि कागज़ों पर चलने वाली निगरानी और वास्तविक स्तर पर होने वाली धांधलियों के बीच की खाई आज भी बहुत गहरी है।



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