मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । यह कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। फिल्म दृश्यम में जैसे एक आम आदमी की जिंदगी अचानक अपराध और साजिश के जाल में फंस जाती है, ठीक वैसे ही मुंगेली जिले के थाना फास्टरपुर क्षेत्रान्तर्गत ग्राम दाबों में हुई हत्या ने पुलिस और जनता को हिला कर रख दिया। लेकिन फर्क इतना रहा कि जहां फिल्म में रहस्य लंबे समय तक छिपा रहता है, वहीं मुंगेली पुलिस की सटीक और त्वरित कार्रवाई ने इस पूरे षड्यंत्र को परत-दर-परत खोलकर रख दिया।
हत्या की कहानी – पुरानी रंजिश से शुरू, निर्दोष पर खत्म
तरवरपुर धान खरीदी सोसायटी के प्रबंधक नेतराम साहू पर पहले धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगा, मामला अदालत पहुंचा और उसे नौकरी से निष्कासित कर दिया गया। कोर्ट के स्टे आदेश से दोबारा बहाल तो हुआ, लेकिन विरोधी पक्ष तुलसी साहू और उसका बेटा नरेन्द्र उर्फ पप्पू उसकी राह में सबसे बड़ी बाधा बने रहे। नेतराम ने मन ही मन बदला लेने की ठान ली। उसने तय किया कि नरेन्द्र को रास्ते से हटाए बिना उसकी नौकरी सुरक्षित नहीं। इसके लिए उसने अपने साले सुनील साहू को 50 हजार रुपये देकर हत्या की सुपारी दी।
WhatsApp से भेजी फोटो, रात में बनी हत्या की योजना
जांच में सामने आया कि नेतराम ने अपने साले सुनील को व्हाट्सऐप पर नरेन्द्र की फोटो भेजी और कहा – यही मेरा दुश्मन है, इसे खत्म कर दो।
योजना बनी, बोलेरो और मोटरसाइकिल का इंतजाम हुआ, साथियों को बुलाया गया।
9 और 10 सितंबर की रात को सुनील, शुभम पाल, गौकरण साहू और एक नाबालिग आरोपी ने शराब पीकर वारदात को अंजाम देने का मन बनाया।
गलत पहचान – निर्दोष की मौत
वारदात की रात आरोपी दाबों चौक पहुंचे। वहां उन्हें दो युवक बैठे दिखे – हेमप्रसाद साहू और उसका साथी हेमचंद साहू। पास ही मोटरसाइकिल भी खड़ी थी।
आरोपियों ने सोचा कि इनमें से एक वही ‘पप्पू’ है। उन्होंने बातचीत कर सिगरेट मांगी, पुष्टि की और फिर वार कर दिया।
सुनील और शुभम ने लोहे की पाइप से हेमप्रसाद के सिर और सीने पर वार किया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
हेमचंद किसी तरह भाग निकला और उसने पुलिस को रिपोर्ट दी।
पुलिस की ‘दृश्यम’ जैसी जांच
हत्या के बाद मामला अंधे कत्ल जैसा लग रहा था। कोई सुराग नहीं था। लेकिन पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने विशेष टीम बनाई।
सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, साइबर सेल को लगाया गया, मुखबिर तंत्र सक्रिय किया गया।
फिर पता चला कि संदेही सुनील साहू नई मोटरसाइकिल लेकर घूम रहा है। उसे घेराबंदी कर पकड़ा गया।
कड़ाई से पूछताछ में उसने सारी साजिश उगल दी और पूरा घटनाक्रम दृश्यम जैसी पटकथा बनकर पुलिस के सामने आ गया।
गिरफ्तारी और बरामदगी
पुलिस ने षड्यंत्रकारी नेतराम साहू समेत चार आरोपियों – सुनील साहू, शुभम पाल, गौकरण साहू और एक नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया।
जप्त सामग्री:
- दो लोहे के पाइप
- मृतक का मोबाइल
- प्रार्थी की मोटरसाइकिल
- बोलेरो वाहन और दूसरी मोटरसाइकिल
आखिरकार क्यों हुई यह हत्या?
नेतराम साहू ने स्वीकार किया कि उसके खिलाफ सोसायटी में गड़बड़ी को लेकर केस दर्ज कराने वाले तुलसी साहू और उसका बेटा नरेन्द्र उसके सबसे बड़े दुश्मन बन गए थे। नौकरी छिन जाने और बदले की भावना ने उसे अंधा कर दिया। वह नरेन्द्र को मारना चाहता था, लेकिन पहचान में गलती होने से निर्दोष हेमप्रसाद की जान चली गई।
पुलिस की सफलता और संदेश
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवनीत कौर छाबड़ा और एसडीओपी मयंक तिवारी की देखरेख में बनी टीम ने 9 दिन के भीतर हत्या की गुत्थी सुलझाकर यह साबित कर दिया कि अपराध कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून से बचना नामुमकिन है।
दृश्यम जैसी पटकथा, लेकिन कहीं ज़्यादा दर्दनाक
फिल्म में दर्शक सस्पेंस का रोमांच महसूस करते हैं, लेकिन असल जिंदगी में यह मामला एक परिवार के लिए हमेशा का दुख बन गया। निर्दोष हेमप्रसाद की मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि निजी दुश्मनी में कितनी आसानी से एक मासूम की बलि चढ़ जाती है।
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