मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । सरगांव थाना क्षेत्र के ग्राम बावली स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला से अवैध शराब का भारी जखीरा बरामद होने से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। संभागीय उड़नदस्ता और आबकारी विभाग की संयुक्त टीम ने 29 सितंबर को आकस्मिक छापा मारते हुए स्कूल परिसर से 10 बोरी अंग्रेजी शराब और 30 लीटर स्पिरिट लिक्विड जब्त किया। विद्यालय जैसे पवित्र स्थल पर नशे का माल मिलना न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र दोनों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर यह जखीरा यहां तक पहुंचा कैसे? और आबकारी विभाग को इतनी बड़ी खेप की भनक क्यों नहीं लगी?
शिक्षा का मंदिर या शराब का गोदाम?
बच्चों के संस्कार और शिक्षा के लिए बने विद्यालय में शराब की बोरी और स्पिरिट की गैलन मिलना समाज के लिए चिंता का विषय है। जिस जगह से बच्चों के भविष्य की रोशनी निकलनी चाहिए, वहीं से नशे का धंधा फल-फूल रहा है — यह दृश्य पूरे तंत्र की खोखली व्यवस्था को उजागर करता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया पुराने अभी तक कोई जानकारी नहीं
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने तत्काल विकासखंड शिक्षा अधिकारी पथरिया को जांच के निर्देश दिए हैं। प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
आबकारी उपनिरीक्षक उम्मी रूमा ने बताया कि जांच प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। विद्यालय की छुट्टी होने के कारण प्राचार्य का बयान नहीं लिया जा सका है, बयान के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। छत्तीसगढ़ प्रसार संपर्क करने की कोशिश की अभी आगे की जानकारी नहीं मिली है।
लेकिन असल सवाल अब भी वहीं है — जब शराब मध्यप्रदेश से लाई गई थी, तो इतनी बड़ी खेप जिले में बिना रोक-टोक के कैसे आ गई? क्या पुलिस की चौकियां केवल औपचारिक जांच तक सीमित हैं?
कांग्रेस का हल्ला बोल
इस घटना को लेकर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी पथरिया ने आपात बैठक कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष घनश्याम वर्मा ने कहा कि साय सरकार के आने के बाद छत्तीसगढ़ अवैध शराब का गढ़ बन गया है। उन्होंने कहा बिना सरकार के संरक्षण के इस स्तर का अवैध कारोबार संभव नहीं। भाजपा नेताओं की शह पर शराब माफिया प्रदेश में फल-फूल रहे हैं।
पूर्व विधायक सियाराम कौशिक ने कहा कि शराबबंदी पर भाजपा का दावा केवल राजनीतिक दिखावा है, जबकि हकीकत में शराब दुकानों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है।
पूर्व मंडी अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ला ने घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
प्रदेश कांग्रेस पिछड़ा वर्ग उपाध्यक्ष दिलीप कौशिक ने कहा कि क्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार लंबे समय से जारी है और इसमें स्थानीय भाजपा नेताओं का संरक्षण है।
कांग्रेस ने 5 सदस्यीय जांच दल गठित किया है
संयोजक दिलीप कौशिक, सदस्य उर्मिला यादव, विद्यानंद चंद्राकर, राजा सिंह ठाकुर और आशुतोष पांडेय।
दल राज्य सरकार से अवैध शराब पर सख्त कार्रवाई की मांग करेगा।
भाजपा का पलटवार
दूसरी ओर, लोकस्वर मीडिया नेटवर्क समाचार पत्र के अनुसार भाजपा मंडल सरगांव ने कांग्रेस पर झूठे आरोप और राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया है।
मंडल अध्यक्ष पोषण यादव, नगर पंचायत अध्यक्ष परमानंद साहू और जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि चंद्रशेखर कौशिक ने थाना सरगांव में ज्ञापन सौंपकर निष्पक्ष जांच की मांग की।
भाजपा का कहना है कि शराब की बरामदगी लावारिस अवस्था में हुई थी और इसका किसी नेता या व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।
भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए भाजपा नेताओं पर झूठे आरोप लगा रही है।
लगातार कार्रवाई में जुटा आबकारी विभाग
इसी बीच, कलेक्टर कुंदन कुमार ने समीक्षा बैठक में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए है जिसके बाद आबकारी विभाग ने जिले में अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दिया है।
कलेक्टर कुन्दन कुमार के निर्देश पर लोरमी विकासखंड के ग्राम शिकारीडेरा में छापेमारी कर 70 लीटर कच्ची महुआ शराब और 2250 किलोग्राम महुआ लाहन जब्त की गई।
जिला आबकारी अधिकारी रविशंकर साय ने बताया कि अज्ञात आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।
लगातार कार्रवाई में जुटा आबकारी विभाग, लेकिन अज्ञात आरोपी का, खेल कब खत्म होगा?
जिले में आबकारी विभाग अवैध शराब पर लगातार कार्रवाई का दावा करता है, कभी 70 लीटर कच्ची शराब, तो कभी 2000 किलो से अधिक महुआ लाहन जब्ती की खबरें आती हैं। लेकिन सवाल ये है कि हर कार्रवाई में आरोपी अज्ञात क्यों रहता है? आखिर इतने सालों से यह अज्ञात आरोपी कौन है, जो पकड़ में नहीं आता और हर बार कागजों में गुम हो जाता है?
छापेमारी की प्रेस रिलीज़ तो बनती है, फोटो भी जारी होती है, लेकिन असल आरोपी कहां हैं?
क्या यह संभव है कि कोई अज्ञात व्यक्ति सैकड़ों किलो महुआ लाहन या शराब बोरी में भरकर गांवों या जंगलों में रख दे और विभाग को इसकी भनक ही न लगे?
सवाल यह भी है कि जब स्कूल परिसर में शराब का जखीरा मिला, तो आखिर अज्ञात की आड़ में किसे बचाया जा रहा है?
जिले में यह पहली घटना नहीं है। कई बार अज्ञात आरोपी के नाम से मामला दर्ज होता है, लेकिन कभी किसी तस्कर या नेटवर्क का खुलासा नहीं होता। इससे यह साफ झलकता है कि विभाग सिर्फ कार्रवाई का दिखावा कर रहा है, ताकि आंकड़ों में सख्ती और हकीकत में ढिलाई बनी रहे।
सूत्र का कहना है कि आबकारी विभाग को जब तक तस्करी के मूल स्रोत और सप्लाई चेन को तोड़ने की जिम्मेदारी के साथ जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा, तब तक ये अज्ञात आरोपी का खेल चलता रहेगा।
यदि सच में नशे पर रोक लगानी है, तो सिर्फ बोतलें जब्त करने से नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और सांठगांठ की सफाई से शुरुआत करनी होगी। मामले की जांच अभी जारी है, और जैसे ही पूरे तथ्य सामने आएंगे, हम निष्पक्ष रिपोर्टिंग के साथ जानकारी साझा करेंगे।
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