लोरमी में तिरंगे का अपमान: पुलिस थाना लोरमी के कुछ दूरी पर राष्ट्रगौरव का प्रतीक बना लापरवाही का शिकार, जिम्मेदारों की चुप्पी पर उठे सवाल

मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । लोरमी थाना क्षेत्र से एक बेहद शर्मनाक और संवेदनशील मामला सामने आया है। जहां राष्ट्र की आन-बान-शान, भारत की आत्मा का प्रतीक तिरंगा झंडा सड़क किनारे पड़े कचरे में दिखाई दिया। सूत्रों से प्राप्त वीडियो ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि तिरंगा झंडा गंदगी और कचरे के बीच पड़ा है, पास से लोग आते-जाते रहे हैं, परंतु किसी ने भी उसे सम्मानपूर्वक उठाने की कोशिश नहीं की। यह दृश्य न केवल भावनाओं को झकझोर देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में राष्ट्रप्रेम केवल कार्यक्रमों और फोटोशूट तक सीमित रह गया है।

राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान या प्रशासनिक लापरवाही?
नागरिकों के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर स्कूलों, सरकारी संस्थानों और राजनीतिक आयोजनों में सैकड़ों झंडे लगाए जाते हैं। परंतु जब कार्यक्रम समाप्त हो जाते हैं, तो यही झंडे प्लास्टिक की थैलियों, सड़क किनारे या नालियों में फेंके हुए मिलते हैं। यह दृश्य बार-बार देखने को मिलता है, लेकिन किसी भी अधिकारी ने अब तक इस पर गंभीरता नहीं दिखाई।

कानून स्पष्ट कहता है कि राष्ट्रध्वज का अपमान दंडनीय                              अपराध है।
राष्ट्रध्वज अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत तिरंगे का अपमान करने पर तीन साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बावजूद इसके, लोरमी क्षेत्र में इस तरह का दृश्य प्रशासनिक लापरवाही और जन-जागरूकता की कमी दोनों को उजागर करता है।




                        कौन है जिम्मेदार?
सूत्रों के अनुसार यह झंडा किसी सरकारी कार्यक्रम या स्थानीय आयोजन के बाद फेंका गया हो सकता है। सवाल यह है कि ऐसे आयोजनों के बाद झंडों को सम्मानपूर्वक संकलित और सुरक्षित रखने की व्यवस्था क्यों नहीं की जाती?
क्या किसी भी अधिकारी को यह देखने की फुर्सत नहीं कि कार्यक्रमों के बाद तिरंगे कहां जाते हैं?
क्या राष्ट्रप्रेम केवल भाषणों और नारों तक सीमित रह गया है?

    आवश्यक है सख्त कार्रवाई और जनजागरण
यह घटना न केवल प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर करती है, बल्कि समाज की चुप्पी पर भी सवाल उठाती है।
जरूरत है कि स्कूलों, पंचायतों और सरकारी संस्थानों में तिरंगे के सम्मान और सही निस्तारण की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण व जनजागरण अभियान चलाया जाए।
हर नागरिक को यह समझना होगा कि तिरंगे का सम्मान सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है।

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