मुंगेली में आबकारी विभाग की कार्रवाई: अवैध शराब पर शिकंजा या दिखावटी कार्यवाई?

मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । जिले में आबकारी विभाग द्वारा लोरमी विकासखण्ड के ग्राम शिकारीडेरा में की गई कार्रवाई में 70 लीटर कच्ची महुआ शराब और 2250 किलोग्राम महुआ लाहन जब्त किया गया है। यह कार्रवाई कलेक्टर कुन्दन कुमार के निर्देश पर की गई बताई जा रही है। जिला आबकारी अधिकारी रविशंकर साय ने बताया कि अज्ञात आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि अज्ञात आरोपी ही क्यों होता है? आखिर इतने बड़े पैमाने पर शराब तैयार करने और लाहन बनाने वालों की पहचान अब तक क्यों नहीं हो पाती? क्या यह कार्रवाई वाकई जमीनी स्तर पर अवैध शराब माफियाओं तक पहुंच पा रही है या सिर्फ दिखावे के लिए समाचारों में सफल अभियान के रूप में प्रचारित की जा रही है?
ग्रामीण क्षेत्रों में खुलेआम महुआ शराब की बिक्री होती है। कई बार तो ये कारोबार पंचायतों और स्थानीय प्रभावशाली लोगों की जानकारी में चलता है, फिर भी न तो कोई बड़ी गिरफ्तारी होती है और न ही उत्पादन केंद्रों को पूरी तरह नष्ट किया जाता है। जिले के लोगों का कहना है कि जब तक ऐसे अभियानों में केवल लाहन जलाने और शराब जब्त करने तक सीमित कार्रवाई होती रहेगी, तब तक यह माफिया खत्म नहीं होंगे।
आबकारी विभाग को केवल जब्ती तक नहीं, बल्कि स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना होगा, जैसे कि गांवों में जागरूकता अभियान, निगरानी दलों की सशक्त व्यवस्था और आरोपियों की पहचान उजागर कर कठोर दंड सुनिश्चित करना।

लेकिन सवाल बरकरार, अज्ञात आरोपी ही क्यों?
हालांकि आबकारी विभाग ने कार्रवाई कर 70 लीटर कच्ची महुआ शराब और 2250 किलो महुआ लाहन जब्त करने में सफलता पाई है, मगर सवाल यह है कि आरोपी अज्ञात ही क्यों रहता है? पत्रकार की दृष्टि से यह एक गंभीर विफलता मानी जा सकती है। इतनी बड़ी मात्रा में शराब और लाहन जब्त होना यह दर्शाता है कि गांव में यह काम लंबे समय से चल रहा होगा। फिर भी विभाग के पास न तो किसी आरोपी का नाम है, न कोई गिरफ्तारी हुई। ऐसे में यह आशंका उठती है कि कार्रवाई केवल दिखावे तक सीमित है या फिर कहीं न कहीं सूचना तंत्र कमजोर है। ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ शराब का उत्पादन किसी गुप्त ठिकाने पर नहीं, बल्कि खुलेआम खेतों, जंगलों या घरों के पीछे होता है। ऐसे में अगर विभाग को अज्ञात आरोपी ही मिलता है, तो यह व्यवस्था की नाकामी को दर्शाता है। सूत्र कहते हैं कि जब तक सिर्फ लाहन नष्ट करने और शराब जब्त करने की औपचारिकता निभाई जाएगी, तब तक असली माफिया बेखौफ रहेंगे।
अब जरूरत इस बात की है कि आबकारी विभाग केवल कार्रवाई का प्रचार न करे, बल्कि आरोपियों की पहचान उजागर कर ठोस कानूनी कदम उठाए, तभी यह माना जाएगा कि प्रशासन वाकई अवैध शराब के खिलाफ सख्त है, न कि केवल रिपोर्टों में सख्त दिखने की कोशिश कर रहा है।
कुल मिलाकर यह कार्रवाई भले ही कागजों पर सफल दिखे, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इससे अवैध शराब का जाल वास्तव में टूट रहा है या सिर्फ दिखावे की परत चढ़ाई जा रही है?


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