नरेंद्र मोदी: एक युगद्रष्टा नेता – एक विश्लेषणात्मक व्याख्यात्मक लेख
नरेंद्र दामोदरदास मोदी, भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री, भारतीय राजनीति में एक ऐसी विभूति बन चुके हैं, जिनका प्रभाव केवल शासन व्यवस्था तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और वैश्विक स्तर पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। गुजरात के एक छोटे से कस्बे वडनगर से निकलकर देश की सर्वोच्च कार्यपालिका तक का उनका सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह एक सदी के भारत के राजनीतिक परिदृश्य का भी गहन प्रतिबिंब है।
विकास के ‘गुजरात मॉडल’ से ‘न्यू इंडिया’ तक:
प्रधानमंत्री बनने से पूर्व नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने वहां विकास का जो मॉडल प्रस्तुत किया, वह गुजरात मॉडल के नाम से राष्ट्रीय चर्चाओं में आया। इस मॉडल की केंद्रीय धुरी थी – औद्योगिक विकास, आधारभूत संरचना का सशक्त निर्माण और निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण। यही मॉडल उन्होंने केंद्र में भी लागू किया, जिसे उन्होंने न्यू इंडिया के विचार से जोड़ा।
न्यू इंडिया नरेंद्र मोदी की कल्पना का वह भारत है, जो आत्मनिर्भर हो, डिजिटल रूप से सशक्त हो, भ्रष्टाचार मुक्त हो और वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास से खड़ा हो। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना, और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं इसी सोच की उपज हैं।
राजनीतिक रणनीति और जनसंपर्क में दक्षता:
मोदी की सबसे बड़ी ताकत उनकी संवाद शैली और राजनीतिक रणनीति मानी जाती है। वे न केवल जनता से सीधे संवाद करते हैं, बल्कि उन्होंने इसे एक राजनीतिक उपकरण के रूप में भी बखूबी इस्तेमाल किया है। मन की बात कार्यक्रम इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता, वैश्विक नेताओं के साथ आत्मीय संबंध और जन भावनाओं की नब्ज को पहचानने की कला ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित किया है।
आलोचना और विवाद: एक संतुलित दृष्टिकोण:
किसी भी बड़े नेता की तरह नरेंद्र मोदी का कार्यकाल भी आलोचनाओं और विवादों से अछूता नहीं रहा। नोटबंदी, जीएसटी का प्रारंभिक क्रियान्वयन, कृषि कानून और अल्पसंख्यक समुदायों को लेकर नीतिगत आलोचनाएं उनके शासनकाल में उठती रही हैं। आलोचकों का कहना है कि कुछ नीतियां हड़बड़ी में लागू की गईं, जिनका तत्कालिक प्रभाव आम जनता पर पड़ा।
हालाँकि, इन आलोचनाओं के समानांतर यह भी उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे, वैश्विक कूटनीति और आतंरिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में ठोस प्रगति की है। पुलवामा हमले के बाद ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘बैलिस्टिक डिप्लोमेसी’ ने एक निर्णायक नेतृत्व की छवि को पुष्ट किया।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका:
मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी छवि को सुदृढ़ किया है। चाहे वह संयुक्त राष्ट्र में योग दिवस की पहल हो, क्वाड, जी20, या ब्रिक्स जैसे मंचों पर सक्रिय भूमिका, मोदी ने भारत को एक सशक्त वैश्विक भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी विदेश यात्राओं और राजनयिक प्रयासों से भारत की वैश्विक स्थिति में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
नरेंद्र मोदी एक नेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा बन चुके हैं। वह एक ऐसे युगपुरुष हैं, जिन्होंने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देने का प्रयास किया है। उनके समर्थक उन्हें युगद्रष्टा और राष्ट्र निर्माता मानते हैं, तो आलोचक उन्हें एक ‘हिंदुत्ववादी’ और केंद्रीकृत सत्ता संरचना के पक्षधर के रूप में देखते हैं। लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि नरेंद्र मोदी ने भारत की राजनीति, नीतियों और जनता की सोच को प्रभावित करने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।
उनका व्यक्तित्व जटिल है, निर्णय दृढ़ हैं, और दृष्टि व्यापक। आने वाले समय में उनके कार्यों का मूल्यांकन और विवेचना इतिहास के गहरे पन्नों में स्थान पाएगा – चाहे वह प्रशंसा हो या आलोचना। लेकिन एक बात निर्विवाद है: नरेंद्र मोदी ने भारत को एक नई दिशा में मोड़ने का प्रयास किया है और इसके प्रभाव आने वाले दशकों तक महसूस किए जाते रहेंगे।
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