स्कूल 16 जून से खोल रहे हैं अपना नया सत्र, लेकिन अंकसूचियां अंतिम दिन क्यों पहुंचीं ? शिक्षा विभाग के दावों और जमीनी हकीकत में दिखा अंतर

मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । एक ओर जहां पूरे छत्तीसगढ़ में 16 जून से नया शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मुंगेली जिले में पांचवीं और आठवीं कक्षा की अंकसूचियां ठीक एक दिन पहले यानी 15 जून को ही स्कूलों तक पहुंचाई गईं। सवाल यह उठता है कि जब परीक्षा मार्च-अप्रैल में हो चुकी थी और परिणाम भी पहले ही घोषित किए जा चुके थे, तो फिर विद्यार्थियों की वास्तविक मार्कशीट इतने विलंब से क्यों वितरित की जा रही है? क्या यह व्यवस्था की लापरवाही नहीं है कि बच्चों को उनकी अंकसूचियां उनके नए सत्र के पहले दिन ही थमाई जा रही हैं? शिक्षा विभाग ने इस देरी को लेकर कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है।

कलेक्टर के निर्देश पर तत्परता से वितरण की बात भले ही कही जा रही हो, लेकिन यह तत्परता आखिर इतनी देर से क्यों दिखाई गई? यदि यह प्रक्रिया पहले ही संपन्न हो जाती, तो विद्यालय भी नए सत्र की तैयारियों में बेहतर तरीके से जुट सकते थे। विशेषज्ञों का मानना है कि परिणाम वितरण एक औपचारिक कार्य नहीं, बल्कि विद्यार्थी की शैक्षणिक यात्रा का अहम पड़ाव होता है। अंकसूचियां समय पर मिलना न सिर्फ विद्यार्थियों के आत्मविश्वास के लिए आवश्यक होता है, बल्कि इससे स्कूलों को भी विद्यार्थियों की अगली कक्षा के लिए रणनीति बनाने में मदद मिलती है। ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों के कई स्कूलों में अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कितनी अंकसूचियां प्राप्त हुई हैं, और सभी छात्र-छात्राओं तक यह सोमवार को समय पर पहुंच पाएंगी या नहीं।

इस पूरे प्रकरण ने शिक्षा व्यवस्था की तत्परता और समन्वय पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अगर प्रशासन वाकई बच्चों के हितों को सर्वोपरि मानता है, तो भविष्य में इस तरह की अव्यवस्थाओं से बचने के लिए उसे परीक्षा, मूल्यांकन और वितरण की समयसीमा पहले से तय कर, उस पर सख्ती से अमल करना होगा। वरना हर साल ऐसे ही अंतिम क्षणों पर लीपापोती कर बच्चों के भविष्य के साथ लापरवाही होती रहेगी।

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