18 दिसंबर को ही मनाए बाबा गुरु घासीदास के जन्म उत्सव - बालसाध्वी सुश्री संतोषी भारती

छत्तीसगढ़ / छत्तीसगढ़ प्रसार / सतनामी समाज 18 दिसंबर से 31 दिसंबर तक बाबा गुरुघासीदास के जयंती बड़े धूमधाम से मनाते है,वही बालसाध्वी सुश्री संतोषी भारती का कहना है,18 दिसंबर को संत शिरोमणि  बाबा गुरु घासीदास  का जन्मोत्सव है, 18 दिसंबर को ही जनमोत्स्व मनाया जाना चाहिए, ये जो 13 दिनों तक मनाते है ये अनुचित है ,उन्होंने ये भी कहा नवजात शिशु के जन्म बाद छः दिनों में ही छट्टी कार्यक्रम का आयोजन होना चाहिए, छः महीने बाद मनाए जाने को बिल्कुल अनुचित कहा है,  
आगे बालसाध्वी ने जन्म उत्सव और जयंती में अंतर बताते हुए कहा कि जयंती उसका मनाए जाते है जो इस धरती में नही रहते परंतु संत शिरोमणि बाबा गुरुघासीदास अभी भी इस धरती में सत्य रूपी सतनाम प्रगट विराजमान हैं, बाबा गुरू धासीदास के लिए जयंती शब्द अनुचित है, इसलिए पूरे मानव समाज से अपील की है, की बाबा गुरु घासीदास की उत्सव मनाए जाने पर जन्म उत्सव  या प्राकट्य उत्सव संबोधित करेंगे।

आपको बता दे 18 दिसंबर सन 1756  बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिलें में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी  सफुरा थी। गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था, बाबा ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया। घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ