अरविंद बंजारा ने जनसूचना अधिकारी एवं सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, मुंगेली से जानकारी मांगा था। जानकारी न मिलने पर उन्होंने अपील दायर की। 18 अगस्त को सुनवाई तय हुई, लेकिन न तो अपीलार्थी पहुंचे और न ही जनसूचना अधिकारी, जनसूचना अधिकारी को आवश्यक जानकारी सहित उपस्थित होने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद अधिकारी न तो सुनवाई में शामिल हुए और न ही किसी प्रकार का जवाब दिया गया, मिली आदेश में स्पष्ट हुआ है। वहीं अरविंद बंजारा ने कहा लेटर 19 तारीख को मिलने के कारण 18 तारीख को उपस्थित होना संभव नहीं था।
अपीलीय अधिकारी का सख्त आदेश
अपीलीय अधिकारी श्री जितेन्द्र गुप्ता, अपर संचालक आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास, नवा रायपुर, ने आदेश में साफ कहा कि –
जनसूचना अधिकारी का रवैया लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी को दर्शाता है।
इस प्रकार की कार्यशैली अनुशासनात्मक कार्यवाही योग्य है, जिस पर विभागीय सचिव को पत्र लिखा जा सकता है।निर्देश दिया जाता है कि अपीलार्थी द्वारा मांगी गई जानकारी आदेश प्राप्त होने के 3 दिनों के भीतर उपलब्ध कराई जाए और इस कार्यालय को अवगत कराया जाए। यह आदेश सिर्फ एक सूचना प्रकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विभागीय कार्यशैली और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। जब एक आरटीआई अपील के बावजूद अधिकारी अनुपस्थित रहते हैं, तो यह जनता के अधिकारों की अनदेखी है।
इससे पहले भी उठा था मुद्दा
गौरतलब है कि इस मामले पर पहले भी मीडिया में खबरें आ चुकी हैं, जिसमें मुंगेली जिले के अफसरों की लापरवाही उजागर हुई थी। अब अपीलीय अधिकारी के सख्त आदेश ने यह साफ कर दिया है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या मुंगेली के जनसूचना अधिकारी आदेश का पालन करते हुए 3 दिनों में मांगी गई जानकारी देंगे या मामला राज्य सूचना आयोग तक जाएगा।
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