रात में चली बातचीत के बाद बनी सहमति : 26.45 लाख मुआवजा, पत्नी को नौकरी और बच्ची की पढ़ाई फ्री, छह दिन से चल रहा धरना हुआ समाप्त

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ प्रसार । बिलासपुर रेल मंडल के अंतर्गत हुए हादसे के बाद मृतक प्रताप बर्मन के परिजन पिछले छह दिनों से धरने पर बैठे थे। लगातार हो रही बारिश और कठिन परिस्थितियों में भी परिवार अपने मांगों को लेकर अडिग रहा। आखिरकार देर रात प्रशासन और परिजनों के बीच सहमति बनी और परिवार ने शव का अंतिम संस्कार करने पर सहमति जताई। इस समझौते ने न केवल परिजनों के दुख को कुछ हद तक सहारा दिया, बल्कि क्षेत्र में फैली बेचैनी को भी शांत किया। समझौते के अनुसार, मृतक प्रताप बर्मन के परिवार को कुल 26.45 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा, मृतक की पत्नी को रेलवे के आउटसोर्स विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी दी जाएगी, जिससे परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी हो सकें। सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि मृतक की छोटी बच्ची की 12 वीं तक पूरी रेल्वे स्कूल में शिक्षा निशुल्क कराने का वादा प्रशासन की ओर से किया गया।
परिवार को राहत देने के लिए बैंक की ओर से भी पहल की गई। चूंकि मृतक का खाता एसबीआई में था, इसलिए बैंक ने भी अतिरिक्त 2 लाख रुपये देने का निर्णय लिया है। यह आर्थिक मदद परिवार को जीवन पुनः व्यवस्थित करने में सहारा देगी। मामले में हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए ठेकेदार को 5 लाख रुपये और देने का आदेश दिया है। 
धरना स्थल पर परिजन और समर्थक पिछले छह दिनों से बैठे थे। इस दौरान लगातार हो रही बारिश ने आंदोलनकारियों की परेशानी को और बढ़ा दिया। लोग भीगते रहे, बच्चों और महिलाओं को कठिन परिस्थितियों में रात गुजारनी पड़ी, लेकिन परिजनों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे पीछे नहीं हटेंगे। अंततः परिवार की दृढ़ता और जनसमर्थन ने प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया और देर रात समझौता हो पाया।  छह दिनों तक चले इस संघर्ष के बाद समझौता होने से परिजनों को कुछ हद तक राहत मिली है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मजदूरों और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर व्यवस्थाएँ कितनी कमजोर हैं। जब तक जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती और सुरक्षा इंतज़ाम मजबूत नहीं किए जाते, तब तक ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी।

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