मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में पुलिस ने एक ऐसे अंतर्राज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए लोगों को केंद्रीय सुरक्षा बलों (जैसे BSF) में नौकरी दिलाने का गोरखधंधा चला रहा था। पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल (भा.पु.से.) के कुशल नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई को एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें गिरोह के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, आरोपी योगेन्द्र कुमार पिता प्रेमशंकर बघेल (उम्र 29 वर्ष, निवासी अंडला, थाना खैर, जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश) और प्रशांत राजपूत पिता मानसिंह राजपूत (उम्र 30 वर्ष, निवासी डौकी, थाना डौकी, जिला आगरा, उत्तर प्रदेश) ने एक व्यक्ति – विशाल पिता यशपाल सिंह (निवासी फतेहाबाद, उत्तर प्रदेश) के लिए फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाया था। यह प्रमाण पत्र छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के ग्राम कंतेली का था, जिसे उन्होंने असली दस्तावेज की तरह पेश कर BSF में भर्ती दिलवाई।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
दिनांक 06 जून को ये दोनों आरोपी मुंगेली के पुलिस कार्यालय पहुंचे और विशाल के चरित्र सत्यापन की जानकारी मांगने लगे। उनकी गतिविधियां और बातचीत संदिग्ध लगने पर पुलिस ने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुश्री नवनीत कौर छाबड़ा के पर्यवेक्षण और उप पुलिस अधीक्षक नवनीत पाटिल के नेतृत्व में साइबर सेल और थाना लालपुर की विशेष टीम गठित की।जांच के दौरान पुलिस टीम ग्राम कंतेली पहुंची और वहां के सरपंच प्रतिनिधि, कोटवार और ग्रामीणों से पूछताछ की। सभी ने स्पष्ट रूप से बताया कि गांव में विशाल नाम का कोई व्यक्ति न तो रहता है और न ही कभी रहा है। साथ ही, पूछताछ में यह भी सामने आया कि आरोपी योगेन्द्र और प्रशांत का भी ग्राम से कोई संबंध नहीं है।
होटल से मिले फर्जी दस्तावेज
जांच को आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने उन आरोपियों के ठहरने के स्थान – होटल अम्बे पैलेस, बिलासपुर – पर दबिश दी, जहां से पुलिस को भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री मिली। इसमें फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र, नोटरी के कोरे प्रमाण पत्र, दाखिल खारिज के कागजात, सरकारी सील और तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए। पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे पैसे की लालच में फर्जी दस्तावेज बनाकर विभिन्न अभ्यर्थियों को केंद्रीय बलों में भर्ती कराने का काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि SRE जिलों से अतिरिक्त अंक मिलने की संभावना को ध्यान में रखते हुए बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी विशेष रूप से छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के फर्जी प्रमाण पत्र बनवा रहे थे।
बड़ा नेटवर्क, आगे की जांच जारी
पुलिस को आशंका है कि यह गिरोह केवल दो लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों तक फैले हो सकते हैं, जहां से अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के जरिए एजेंटों की मदद से नौकरी पाने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल थाना लालपुर में अपराध क्रमांक 103/2025 के तहत बीएनएस की धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2), 3(5) के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। दोनों आरोपियों को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा जा चुका है। अन्य संलिप्त आरोपियों की तलाश जारी है।
पुलिस की सतर्कता ने बचाई बड़ी गड़बड़ी
इस पूरे मामले में मुंगेली पुलिस की सजगता और त्वरित कार्रवाई काबिले तारीफ है। यदि समय रहते इनकी पहचान न होती, तो कई और फर्जी दस्तावेजों के जरिए गलत तरीके से सरकारी नौकरियों में नियुक्तियां हो सकती थीं, जिससे देश की सुरक्षा व्यवस्था भी प्रभावित होती। इस कार्रवाई में थाना लालपुर, साइबर सेल एवं जिला विशेष शाखा के अधिकारी-कर्मचारियों की अहम भूमिका रही, जिन्होंने सटीक रणनीति और सतर्कता से इस गिरोह को पकड़ने में सफलता हासिल की। मुंगेली पुलिस का यह कदम न केवल कानून व्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि युवाओं को यह भी संदेश देता है कि शॉर्टकट से सफलता की कोशिश करना न केवल असफलता की ओर ले जाता है, बल्कि अपराध की गिरफ्त में भी ला सकता है।
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