मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । छत्तीसगढ़ में नौतपा की शुरुआत इस बार परंपरा से बिल्कुल अलग दिखाई दी। 25 मई से शुरू हुए नौतपा पहले दिन बारिश, दूसरे दिन बारिश और अब तीसरे दिन यानी 27 मई को मुंगेली जिले में दोपहर के समय मौसम ने अचानक रौद्र रूप धारण कर लिया। तेज हवाओं के साथ आसमान में काले बादल छाए और फिर बारिश शुरू हो गई। गरज-चमक इतनी तीव्र थी कि लोग दहशत में घरों में दुबक गए। करीब एक घंटे तक चली इस बारिश ने जहां गर्मी से राहत दी, वहीं तेज तूफान और बिजली की गर्जना ने तबाही के हालात भी पैदा कर दिए। कई स्थानों पर पेड़ गिरने और छतें उड़ने की खबरें सामने आईं हैं।
इसी बीच कोरबा जिले से एक दुखद खबर सामने आई, जहां खुले मैदान में चर रही 15 बकरियां आकाशीय बिजली की चपेट में आकर मारी गईं। ग्रामीणों के अनुसार बिजली गिरने की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के घरों की दीवारें तक थर्रा उठीं।
पौराणिक संदर्भ:
स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तब नौतपा की शुरुआत होती है। यह काल अत्यधिक गर्मी का प्रतीक माना जाता है और सूर्य की तपिश इस दौरान अपने चरम पर होती है। इस वर्ष 25 मई से 8 जून तक सूर्य रोहिणी नक्षत्र में गोचर कर गए हैं।
लेकिन इस बार तीसरे ही दिन आसमान से जिस तरह बारिश और बिजली बरसी, उसने इस पौराणिक मान्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना मौसम की अनिश्चितता और जलवायु परिवर्तन का संकेत भी मानी जा रही है।
जनता की प्रतिक्रिया:
मुंगेली के ग्रामीणों ने इसे अप्रत्याशित बताया। एक स्थानीय किसान ने कहा, हमने तो सुना था कि नौतपा में ज़मीन जलती है, लेकिन इस बार तो आसमान बरस पड़ा। समझ नहीं आ रहा कि ये राहत है या चेतावनी। किसानों में चिंता है कि अगर ऐसे ही मौसम बना रहा तो बुआई और फसलों पर असर पड़ सकता है। वहीं पशुपालकों में डर है कि कहीं यह सिलसिला आगे और नुकसान न पहुंचा दे। छत्तीसगढ़ में नौतपा की यह शुरुआत मौसम के बदलते स्वरूप की ओर इशारा करती है। जहां पहले सूर्य की तपिश की चर्चा होती थी, अब वहां आंधी, बारिश और बिजली गिरने जैसी घटनाएं लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही हैं। सवाल यह है कि क्या यह प्राकृतिक असंतुलन है या आने वाले समय की चेतावनी?
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