केंद्र ने UPSC लेटरल एंट्री विज्ञापन पर लगाई रोक, विपक्ष ने उठाए थे सवाल, अब लेटरल एंट्री यू-टर्न

दिल्ली । छत्तीसगढ़ प्रसार । केंद्र सरकार ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा जारी लेटरल एंट्री विज्ञापन पर रोक लगाने का निर्णय लिया। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर उठाया गया है। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी के चेयरमैन को भेजे पत्र में स्पष्ट किया कि यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के अंतर्गत लिया गया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि लेटरल एंट्री प्रणाली संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए और इसमें आरक्षण के प्रावधानों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि लेटरल एंट्री के तहत होने वाली भर्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं था, जिससे इसकी समीक्षा और आवश्यक सुधार की जरूरत महसूस की गई है। प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान सामाजिक न्याय पर केंद्रित है।

इसके साथ ही, पत्र में यूपीए सरकार पर भी निशाना साधा गया है। कहा गया है कि लेटरल एंट्री की अवधारणा 2005 में यूपीए सरकार के दौरान लाई गई थी। वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में प्रशासनिक सुधार आयोग ने इसकी सिफारिश की थी और इसके बाद 2013 में छठे वेतन आयोग ने भी इसका समर्थन किया था।

विपक्ष, विशेष रूप से राहुल गांधी, ने इन भर्तियों पर सवाल उठाया था। उनका आरोप था कि इन भर्तियों के माध्यम से एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। 17 अगस्त को यूपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन में 45 संयुक्त सचिव, उप सचिव और डायरेक्टर लेवल की भर्तियों की घोषणा की गई थी, जिस पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी थीं।

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