कलेक्टर के निरीक्षण में शिक्षा विभाग बेनकाब, RTI का जवाब न देना बना गंभीर सवाल -शिक्षा विभाग में अपील भी पड़ रही बेअसर, RTI कार्यकर्ता अरविंद ने जताई नाराजगी


मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । जिले में शिक्षा विभाग की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। RTI (सूचना का अधिकार) जैसे संवैधानिक अधिकार की खुली अवहेलना और जवाबदेही से बचने का रवैया विभागीय अधिकारियों की मानसिकता को उजागर करता है। अरविंद बंजारा, जो आरटीआई कार्यकर्ता हैं, ने शिक्षा विभाग में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदन देकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी थीं। लेकिन सूचना अधिकारी की ओर से न तो निर्धारित समयसीमा में कोई सूचना दी गई और न ही कोई पत्राचार किया गया।

अरविंद बंजारा ने बताया कि सूचना न मिलने पर उन्होंने प्रथम अपील भी दाखिल की, जो कि प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी चन्द्र कुमार घृतलहरे के पास पहुंचाई गई, लेकिन अपील का भी आज तक कोई उत्तर नहीं मिला।
जब इस संबंध में अरविंद बंजारा ने सूचना अधिकारी सहायक जिला परियोजना अधिकारी अजय नाथ से संपर्क किया, तो पहले उन्हें आश्वासन दिया गया कि जानकारी दी जाएगी। लेकिन जब दोबारा मिलने पहुंचे तो अजय नाथ गोलमोल जवाब देने लगे और विषय को टालते रहे। इसके बाद जब अरविंद बंजारा ने जिला शिक्षा अधिकारी चन्द्र कुमार घृतलहरे से मिलने के लिए औपचारिक कार्ड भेजवाया, तो पहले कहा गया थोड़ी देर रुकिए। लेकिन एक घंटे तक इंतजार कराने के बाद भी न तो मुलाकात करवाई गई और न ही कोई जवाब दिया गया। आखिरकार, उन्हें कर्मचारी को सूचना देकर वहां से लौटना पड़ा।

इसी बीच आज जिले के कलेक्टर कुन्दन कुमार द्वारा जिला कार्यालयों का औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें शिक्षा विभाग के कई प्रमुख अधिकारी बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए। इनमें जिला शिक्षा अधिकारी चन्द्र कुमार घृतलहरे, मिशन समन्वयक ओ.पी. कौशिक, सहायक परियोजना अधिकारी अजय नाथ, कम्प्यूटर ऑपरेटर, सहायक ग्रेड व भृत्य शामिल थे। कलेक्टर ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कार्यालयों में लापरवाही और जवाबदेही की कमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अनुपस्थित अधिकारियों को नोटिस जारी कर वेतन काटने के निर्देश दिए गए हैं। सबसे गंभीर मामला समग्र शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत प्रोग्रामर शशिभूषण पांडेय का पाया गया, जो गैरहाजिर रहते हुए भी उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर कर गया था। इस पर कलेक्टर ने उसे सेवा से पृथक करने की अनुशंसा की है।

आरटीआई कानून की अनदेखी और अधिकारी की अनुपस्थिति – सवाल वही हैं
आरटीआई आवेदक अरविंद बंजारा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा –जब कोई विभाग RTI का जवाब नहीं देता, अपील को अनसुना करता है और मिलने से भी बचता है, तो साफ है कि वहां जवाबदेही मर चुकी है। मैं इस पूरे मामले को राज्य सूचना आयोग और उच्च अधिकारियों तक ले जाने वाला हूं।

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