लाली अपहरण हत्याकांड: झाड़-फूंक, लालच,साथ ही रिश्तों की हैवानियत का खौफनाक सच, और सामाजिक गिरावट की खौफनाक तस्वीर, मुंगेली पुलिस ने किया सनसनीखेज हत्याकांड का पर्दाफाश,पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट ने खोले अनकही राज

मुंगेली । छत्तीसगढ़ प्रसार । छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाला एक जघन्य अपराध सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। एक 7 साल की मासूम बच्ची लाली उर्फ महेश्वरी का अपहरण कर झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र की अंधभक्ति में हत्या कर दी गई। और ये अपराध किसी अनजान अपराधी ने नहीं, बल्कि उसके अपने चाचा-चाची और पड़ोसियों ने मिलकर रचा — महज पैसे कमाने और तांत्रिक पूजा में बलि देने के लिए। 12 अप्रैल 2025 को ग्राम कोसाबाड़ी की महिला पुष्पा गोस्वामी ने थाना लोरमी में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी सबसे छोटी बेटी महेश्वरी उर्फ लाली (उम्र 7 साल 7 माह) घर से अचानक गायब हो गई है। रात को लगभग 10 बजे परिवार खाना खाकर सोया था, लेकिन रात 2 बजे जब मां की नींद खुली तो बेटी बिस्तर पर नहीं थी। परिवार ने रातभर खोजबीन की लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला। लाली के लापता होने पर पुलिस ने IPC की धारा 137(2) के तहत मामला दर्ज किया और विशेष जांच दल गठित किया गया।

         पारिवारिक हालात और संदिग्ध रिश्ते
पुलिस जांच में सामने आया कि लाली का परिवार अत्यंत गरीब है। उसके पिता जनकगिरी पोलियो और लकवे से ग्रस्त हैं। मां पुष्पा मानसिक रूप से कमजोर बताई गई। घर में कुल 5 बच्चे हैं — जिनमें लाली सबसे छोटी थी। जनकगिरी रिक्शा चलाकर किसी तरह परिवार पालता था। गरीबी इतनी थी कि परिवार को मदद के लिए अपने भाई हेमगिरी और भतीजे चिम्मन गिरी पर निर्भर रहना पड़ता था। और यही रिश्ते इस हत्याकांड में सबसे बड़े दोषी निकले।

     इंसानियत को झकझोर देने वाला खुलासा
जांच में पुलिस को एक खेत में खोपड़ी और हड्डियों के अवशेष मिले, जो बाद में फॉरेंसिक जांच में लाली के ही निकले। डीएनए रिपोर्ट में साफ हुआ कि बरामद खोपड़ी और हड्डियां लाली की हैं और उस पर चाकू से मारने के घाव भी पाए गए।
ये सबूत मिलने के बाद पुलिस ने पूरे मामले को हत्या की दिशा में मोड़ा और बीएनएस की धाराएं 103(1), 140, 238, 61, 3(5) जोड़कर गहन जांच शुरू की।

    हत्या क्यों की गई? — वजह हैरान करने वाली
इस पूरे कांड के पीछे की कहानी इतनी डरावनी है कि रोंगटे खड़े हो जाएं।
ग्राम कोसाबाड़ी और आसपास के इलाकों में झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र और झरन पूजा जैसी कुप्रथाएं आज भी गहराई से जमी हैं। यहां यह मान्यता है कि झरन पूजा से धन और समृद्धि मिलती है — और अगर बलि दी जाए, तो फल शीघ्र मिलता है। रितु गोस्वामी — जो बच्ची की चाची थी, एक अत्यंत महत्वाकांक्षी महिला बताई गई है, जो गांव के कई स्वयं सहायता समूहों और लोन एजेंसियों से पैसे लेकर फंसी हुई थी। पैसा कमाने की लालसा में उसने तांत्रिकों से संपर्क कर बलि देने का प्लान बनाया।

               पूरा षड्यंत्र ऐसे रचा गया
रितु ने गांव के ही रामरतन निषाद नामक झाड़-फूंक करने वाले व्यक्ति से संपर्क किया। उसने चिम्मन (पति), नरेन्द्र मार्को (गांव का युवक), आकाश मरावी (डीजे चलाने वाला), और रामरतन के साथ मिलकर बच्ची की हत्या की योजना बनाई।
नरेंद्र मार्को को पैसे देकर उसे रात 1 बजे लाली को घर से उठाकर लाने भेजा गया। रितु ने लाली को काले कपड़े पहनाकर झरन पूजा की रस्में करवाईं। फिर मौके पर ही उसकी चाकू से हत्या की गई और शव को खेत में दफना दिया गया। यह सब घटनाक्रम गांव के ही श्मशान घाट के पास हुआ, जहां बाद में शव अवशेष बरामद हुए।

 नार्को टेस्ट और वैज्ञानिक जांच से खुला सच
पुलिस ने रितु, पुष्पा और अन्य आरोपियों का पॉलिग्राफ, ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट कराया। नार्को रिपोर्ट में साफ हुआ कि:
रितु ने पूजा में लाली की बलि देने की योजना बनाई थी।
चिम्मन ने पूजा की सामग्री जुटाई और हत्या में शामिल रहा।
आकाश ने हत्या के बाद शव को छुपाया।
नरेंद्र को पैसे देकर बच्ची को लाने और बाद में गांव छोड़ने को कहा गया।

                   गिरफ्तार आरोपी
1. चिम्मन गिरी गोस्वामी (40 वर्ष)
2. ऋतु गोस्वामी (36 वर्ष)
3. नरेन्द्र मार्को (21 वर्ष)
4. आकाश मरावी (21 वर्ष)
5. रामरतन निषाद (45 वर्ष)
सभी को 26 जुलाई को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

    रितु के खिलाफ पहले से लोन धोखाधड़ी का केस
जांच में यह भी सामने आया कि रितु पहले भी झामियाबाई पन्द्राम के नाम पर लोन लेकर रकम हड़प चुकी है, जिसके खिलाफ थाना लोरमी में पहले से धोखाधड़ी का मामला (धारा 420, 406) दर्ज था। इस मामले की जांच में पुलिस और साइबर टीम के साथ-साथ राजस्व अधिकारी, तहसीलदार, कार्यपालक मजिस्ट्रेट, एसडीएम तक सक्रिय रहे।
निरीक्षक अखिलेश वैष्णव, डीएसपी नवनीत पाटिल, एएसपी नवनीत कौर, साइबर प्रभारी सुशील बंछोर सहित कई अधिकारी और कर्मचारी लगातार सक्रिय रहे।

आलोचनात्मक प्रश्न: क्या यह एक isolated incident है?
नहीं। यह घटना अकेली नहीं है। यह समाज में गहराई तक फैले अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और लालच के जहर की सच्ची तस्वीर है। सोचने की बात है: आज भी गांवों में झरन पूजा जैसे अंधविश्वास कैसे फल-फूल रहे हैं? गरीबी, अशिक्षा और तंत्र-तांत्रिकों के चंगुल में लोग अपने बच्चों तक की बलि दे रहे हैं? महिलाओं के नाम पर लोन लेकर उसका दुरुपयोग कर परिवार और समाज को धोखा देना कितना आसान हो गया है?

               अब क्या ज़रूरी है?
 समाज में तंत्र-मंत्र, बैगा, झाड़-फूंक जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाई जाए। प्रशासन द्वारा जनजागरूकता अभियान चलाया जाए। ग्रामीणों को शिक्षित कर वैज्ञानिक सोच अपनाने को प्रेरित किया जाए। ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए त्वरित न्याय दिलाया जाए।

लाली अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी हत्या एक आह्वान है — हमारे समाज, शासन और प्रशासन के लिए कि अब भी समय है, हम जाग जाएं। वरना अगली बार शिकार कोई और मासूम हो सकता है, और हत्यारे होंगे हमारे ही बीच के लोग — तंत्र-मंत्र के नाम पर।

 यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ प्रसार द्वारा प्रस्तुत है। यदि आप भी ऐसे अंधविश्वास या सामाजिक शोषण का शिकार हुए हैं तो बेझिझक अपनी बात साझा करें।




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